🚩श्री श्याम चालीसा | Khatu Shyam Chalisa PDF Download

श्री खाटू श्याम चालीसा

॥ दोहा॥

श्री गुरु चरणन ध्यान धर,

सुमीर सच्चिदानंद ।

श्याम चालीसा भजत हूँ,

रच चौपाई छंद ।

॥ चौपाई ॥

श्याम-श्याम भजि बारंबारा ।

सहज ही हो भवसागर पारा ॥

इन सम देव न दूजा कोई ।

दिन दयालु न दाता होई ॥

भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया ।

कही भीम का पौत्र कहलाया ॥

यह सब कथा कही कल्पांतर ।

तनिक न मानो इसमें अंतर ॥

बर्बरीक विष्णु अवतारा ।

भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥

बासुदेव देवकी प्यारे ।

जसुमति मैया नंद दुलारे ॥

मधुसूदन गोपाल मुरारी ।

वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥

सियाराम श्री हरि गोबिंदा ।

दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥

दामोदर रण छोड़ बिहारी ।

नाथ द्वारिकाधीश खरारी ॥

राधाबल्लभ रुक्मणि कंता ।

गोपी बल्लभ कंस हनंता ॥ 10

मनमोहन चित चोर कहाए ।

माखन चोरि-चारि कर खाए ॥

मुरलीधर यदुपति घनश्यामा ।

कृष्ण पतित पावन अभिरामा ॥

मायापति लक्ष्मीपति ईशा ।

पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥

विश्वपति जय भुवन पसारा ।

दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥

प्रभु का भेद न कोई पाया ।

शेष महेश थके मुनिराया ॥

नारद शारद ऋषि योगिंदरर ।

श्याम-श्याम सब रटत निरंतर ॥

कवि कोदी करी कनन गिनंता ।

नाम अपार अथाह अनंता ॥

हर सृष्टी हर सुग में भाई ।

ये अवतार भक्त सुखदाई ॥

ह्रदय माहि करि देखु विचारा ।

श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥

कौर पढ़ावत गणिका तारी ।

भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥ 20

सती अहिल्या गौतम नारी ।

भई श्रापवश शिला दुलारी ॥

श्याम चरण रज चित लाई ।

पहुंची पति लोक में जाही ॥

अजामिल अरु सदन कसाई ।

नाम प्रताप परम गति पाई ॥

जाके श्याम नाम अधारा ।

सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥

श्याम सलोवन है अति सुंदर ।

मोर मुकुट सिर तन पीतांबर ॥

गले बैजंती माल सुहाई ।

छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥

श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती ।

श्याम दुपहरि कर परभाती ॥

श्याम सारथी जिस रथ के ।

रोड़े दूर होए उस पथ के ॥

श्याम भक्त न कही पर हारा ।

भीर परि तब श्याम पुकारा ॥

रसना श्याम नाम रस पी ले ।

जी ले श्याम नाम के ही ले ॥ 30

संसारी सुख भोग मिलेगा ।

अंत श्याम सुख योग मिलेगा ॥

श्याम प्रभु हैं तन के काले ।

मन के गोरे भोले-भाले ॥

श्याम संत भक्तन हितकारी ।

रोग-दोष अध नाशे भारी ॥

प्रेम सहित जब नाम पुकारा ।

भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥

खाटू में हैं मथुरावासी ।

पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥

सुधा तान भरि मुरली बजाई ।

चहु दिशि जहां सुनी पाई ॥

वृद्ध-बाल जेते नारि नर ।

मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥

हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई ।

खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥

जिसने श्याम स्वरूप निहारा ।

भव भय से पाया छुटकारा ॥

॥ दोहा ॥

श्याम सलोने संवारे,

बर्बरीक तनुधार ।

इच्छा पूर्ण भक्त की,

करो न लाओ बार

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