मकर सक्रांति क्यों मनाया जाता है? Makar Sankranti Kyon Manate Hain? Why #Makar Sankranti Celebrated 2024

Makar Sankranti Kyon Manate Hain:- जैसे की आप लोग जानते है की भारत में शुरुआत के समय से ही प्रकृति को देवो का स्थान दिया गया है और मकर सक्रांति का त्यौहार जो वो भी प्रकृति को ही समर्पित है दरअसल ये एक पूरी तरीके से वैज्ञानिक त्यौहार है और सूर्य की स्थिति जो बदलती है उस कारण से इस त्योहार को मनाया जाता है | जैसे कि आप जानते हैं सनातन धर्म और हिंदू धर्म में अधिकतर जो परम्पराएं और मान्यताएं हैं वो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाई गई है | मकर सक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है | गुजरात में मकर संक्रांति को लोग उत्तरायण के नाम से जानते हैं तो वहीं राजस्थान बिहार और झारखंड में इसे संक्रांत कहा जाता है तमिलनाडु में पोंगल के रूप में केरल में संक्रांत के रूप में मनाया जाता है |  

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हिंदू धर्म में मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

Makar Sankranti 2024

पंचांग के अनुसार, जब ग्रहों के राजा धनु राशि से निकलर मकर राशि में गोचर करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, 15 जनवरी को सूर्यदेव सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। इसलिए इस साल 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाया जा रहा है।

मकर संक्रांति किसकी याद में मनाई जाती है?

बंगाल में इस पर्व पर स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा है। यहाँ गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता है। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिये व्रत किया था।

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मकर संक्रांति का अर्थ क्या है?

मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणी से उत्तरी गोलार्ध तक की यात्रा का उत्सव है और इसे एक शुभ समय माना जाता है। मकर का अनुवाद ‘मकर’ है और संक्रांति का अर्थ है ‘संक्रमण’।

संक्रांति पर क्या हुआ था?

मकर संक्रांति: सूर्य के अपने आकाशीय पथ पर मकर राशि (मकर) में संक्रमण और छह महीने की उत्तरायण अवधि का प्रतीक है। मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है – वह दिन जिस दिन सूर्य उत्तर की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है।

मकर संक्रांति का भगवान कौन है?

यह सूर्य पूजा, उत्तरायण, ऋतु परिवर्तन, खिचड़ी पर्व और फसल का त्योहार होता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव को समर्पित होता है. क्योंकि इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सूर्य देव जिस दिन धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है |

मकर संक्रांति की शुरुआत कैसे हुई?

सागर में जाकर मिली थी गंगा- मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं. महाराज भगीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था. इसलिए मकर संक्रांति पर पश्चिम बंगाल के गंगासागर में मेला भी लगता है |

मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?

Makar Sankranti 2024 मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान के साथ सूर्य देव की पूजा करने का विधान है।

14 जनवरी को मकर संक्रांति क्यों पड़ती है?

आमतौर पर यह वसंत ऋतु की शुरुआत में, आमतौर पर जनवरी में आयोजित किया जाता है। इस साल मकर संक्रांति की सही तारीख को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करता है और इसलिए मकर संक्रांति उस दिन पड़ती है।

मकर संक्रांति की शुरुआत कब से हुई?

आने वाले कुछ सालों बाद ये पर्व 14 नहीं बल्कि 15 और 16 जनवरी को मनाया जाएगा। काशी हिंदू विश्व विद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पहली बार 1902 में मनाई गई थी।

मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?

बिहार में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी पर्व‘ के नाम से जाना जाता है. यहां उड़द की दाल, चावल, तिल, खटाई और ऊनी वस्त्र दान करने की परंपरा है. बिहार में मकर संक्रांति का खास महत्व होता है और यहां लोगों में इस पर्व को लेकर अलग उत्साह देखने को मिलता है |

मकर संक्रांति कौन से राज्य में मनाया जाता है?

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश : कर्नाटक और आंध प्रदेश में मकर संक्रमामा नाम से मानते है. जिसे यहां तीन दिन का त्योहार पोंगल के रूप में मनाते हैं. तेलुगू इसे पेंडा पादुगा कहते है, जिसका अर्थ होता है बड़ा उत्सव

मकर संक्रांति कौन से राज्य में मनाया जाता है?

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश : कर्नाटक और आंध प्रदेश में मकर संक्रमामा नाम से मानते है. जिसे यहां तीन दिन का त्योहार पोंगल के रूप में मनाते हैं. तेलुगू इसे पेंडा पादुगा कहते है, जिसका अर्थ होता है बड़ा उत्सव

मकर संक्रांति की क्या कहानी है?

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, संक्रांति ने राक्षस शंकरासुर को परास्त किया था । अगले दिन, मकर संक्रांति को कारिदिन या किंक्रांत कहा जाता है। इस दिन देवी ने राक्षस किंकरासुर का वध किया था। साथ ही, यह भी माना जाता है कि इस दिन ताजी हवा में पतंग उड़ाने से सौभाग्य प्राप्त होता है।

महाभारत में मकर संक्रांति का क्या महत्व है?

मकर संक्रांति का उल्लेख भारत के दो महाकाव्य ग्रंथों, पुराणों और महाभारत में किया गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह वैदिक ऋषि विश्वामित्र थे, जिन्होंने इस त्योहार को मनाने की शुरुआत की थी, और यह भी माना जाता है कि महाभारत में पांडवों ने भी अपने निर्वासन के दौरान इस तरह के उत्सव में भाग लिया था।

मकर संक्रांति 2024 पर कौन सा रंग पहनना है?

सभी भारतीय त्योहारों की तरह, इसमें समृद्ध भोजन, पूजा और सजने-संवरने जैसे उत्सवों की आवश्यकता होती है। साथ ही इस दिन खासकर महाराष्ट्र में महिलाएं काली साड़ी पहनती हैं। हिंदू विचारधारा में काले रंग को अशुभ माना जाता है। हालाँकि, बुराई से लड़ने के लिए मकर संक्रांति पर काली साड़ी पहनने की प्रथा है।

संक्रांति में क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन मांस, लहसुन और प्याज खाने से बचना चाहिए । मकर संक्रांति के दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए। गरीबों या असहायों का अपमान करने से बचें। फलस्वरूप व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है।

मकर संक्रांति पर खास क्या है?

Makar Sankranti 2023: इस बार 15 जनवरी 2024, सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाना और उसका दान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है |

मकर संक्रांति पर राशि अनुसार क्या करें दान?

मकर संक्रांति में मकर राशि वालों पर विशेष कृपा होती है. ऐसे में उन्हें कंबल और गुड़ दान करना चाहिए. मकर राशि वालों को इस पर्व में कंबल और गुड़ दान करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

संक्रांति में हम क्या खाते हैं?

खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का धार्मिक कारण मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी के साथ-साथ दही-चूड़ा भी खाया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस दिन ये सभी चीजें खाना शुभ होता है।

मकर संक्रांति के दिन कौन से कपड़े पहने चाहिए?

कहा जाता है कि इस दिन से पहले बहुत कड़ाके की ठंड पड़ती है. काले रंग के कपड़े अपने अंदर गर्मी सोख लेते हैं जिससे शरीर में गर्मी बनी रहती है इसलिए वैज्ञानिक दृष्टि से काले रंग के कपड़े पहनना अच्छा बताया गया है. काले रंग के कपड़े पहनने से सर्दी से बचाव भी होता है |

मकर संक्रांति के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है?

मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है। इसी कारण भारत में शीत ऋतु में रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं। लेकिन मकर संक्रांति के साथ, सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है और इसलिए, दिन बड़े होंगे और रातें छोटी होंगी।

मकर संक्रांति तिथि (Makar Sankranti Date)

Makar Sankranti Kab Hai : इस साल भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जायेगा। इससे पूर्व 2022 व 2023 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मना था। मिथिला पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सुबह 8:30 में एवं काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे |

पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन पुण्य काल प्रातः काल 07 बजकर 15 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजे तक है।

मकर संक्रांति पर हम पतंग क्यों उड़ाते हैं?

ऐसा माना जाता है कि पतंग उड़ाना भगवान को धन्यवाद देने का एक तरीका है क्योंकि वे छह महीने की अवधि के बाद मकर संक्रांति के दिन उठते हैं। देश भर में लोग पतंग उड़ाकर त्योहार के जश्न का आनंद लेते हैं, लेकिन पतंग उड़ाने का प्रमुख उत्सव गुजरात और राजस्थान में दिखाई देता है।

मकर संक्रांति को हिंदी में क्या कहते हैं?

मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति कहते हैं। इसी के साथ इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है।

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